अधिनियम एवं नियम
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (प्रौविबो) का गठन
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अधिनियम, 1995 (टीडीबी अधिनियम, 1995):
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड का गठन संसद के एक अधिनियम जिसका नाम प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अधिनियम, 1995 है और जिसको भारत के माननीय राश्ट्रपति की स्वीकृति 16 दिसम्बर, 1995 को प्राप्त हुई एवं जिसका प्रकाषन भारत के राजपत्र (असाधारण, भाग – प्प्) अधिसूचना सं. 66 दिनांक 18 दिसम्बर, 1995 को किया गया, के तहत हुआ है।
अधिनियम के तहत भारतीय औद्योगिक निकायों और अन्य एजंेसियों को स्वदेषी तकनीकी के विकास और वाणिज्यीकरण या आयातित तकनीक के व्यापक घरेलू उपयोग और इसके जुड़े विशय से संबंधित कार्याें के लिए इक्विटी एवं अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक बोर्ड के गठन का उल्लेख है।
प्रौविबो, 1 सितम्बर, 1996 से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक सांविधिक निकाय के रूप में अस्तित्व में आया।
बोर्ड में निम्नलिखित विभागों के सचिव, पदेन आधार पर सम्मिलित हैं, चार नामित सदस्य एवं सचिव, टीडीबी सदस्य सचिव के रूप में पदेन आधार पर षामिल हैः
बोर्ड की संरचनाः
- सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग – पदेन अध्यक्ष
- सचिव, व्यय विभाग – पदेन सदस्य
- सचिव, औद्योगिकी नीति और संवर्धन विभाग – पदेन सदस्य
- सचिव, वैज्ञानिक एवं औद्योगिकी अनुसंधान विभाग – पदेन सदस्य
- सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विभाग – पदेन सदस्य
- सचिव, ग्रामीण विकास विभाग – पदेन सदस्य
- सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड – पदेन सदस्य सचिव
टीडीबी अधिनियम, 1995 का अनुभाग 6 कहता हैः
बोर्डः-
(क) देषी प्रौद्योगिकी के वाणिज्यीक उपयोजन का प्रयत्न करने वाले या व्यापक घरेलू उपयोजनों के लिए आयातित प्रौद्योगिकी को अंगीकार करने वाले औद्योगिक समुत्थानों और अन्य अभिकरणों के लिए ऐसी षर्तों के अधीन रहते हुए, जो नियमों द्वारा आधारित की जाएं, साधारण पूंजी का उपबंध कर सकेगा।
(ख) वाणिज्यीक उपयोजन के लिए देषी प्रौद्योगिकी के विकास या आयातित प्रौद्योगिकी के अंगीकार करने में लगी हुई ऐसी अनुसंधान और विकास संस्थानों को, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हों, वित्त्।ीय सहायता का उपबंध कर सकेगा।
(ग) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन कर सकेगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा उसे सौंपे जाएं।
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